02 अक्तूबर 2022

गांधी का दर्शन ओज और वीरता का दर्शन है: डॉ. मो. कलाम

पूर्णिया विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में रविवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. मरगूब आलम, कुलसचिव डॉ. घनश्याम राय, कुलानुशासक प्रो. डी. के झा, पूर्णिया कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मो. कलाम, प्रो. आर.डी पासवान ने दीप जलाकर व महापुरूष द्वय के तैलचित्र पर माला अर्पित कर विचार-गोष्ठी कार्यक्रम की शुरूआत की।





कुलसचिव डॉ. घनश्याम राय ने अपने शुरूआती सम्बोधन में विश्विद्यालय के पदाधिकारियों व उपस्थित श्रोताओं का स्वागत किया व आयोजित कार्यक्रम की तैयारियों के सम्बन्ध में जानकारी साझा की। महात्मा गांधी के दर्शन की प्रसंगिकता पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय स्वातंत्र्य इतिहास के दौरान महात्मा गांधी की सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह और स्वराज जैसे दर्शन की आज के दौर में प्रासंगिकता स्थापित करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि आज के समय में कुछ राजनैतिक इकाईयां हैं जो बंदूक के बल पर हिंसा के जरिये सत्ता हासिल करना चाहती है जिसका जवाब महात्मा गांधी के अहिंसा के दर्शन का पालन कर दिया जा सकता है। डॉ. घनश्याम ने कहा कि महात्मा गांधी की व्यापक स्वीकार्यता समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों तक उनकी सहज पहुँच और उनसे संवाद स्थापित कर मुख्याधारा में लाने की उनकी कोशिशों के कारण है।


महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को नमन करते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. डॉ. मरगूब आलम ने कहा कि कोविड-19 की महामारी ने पूरी दुनिया को महत्तवपूर्ण संदेश दिया। हमसे गांधी के दर्शन के अनुपालन में चूक हुई जिसका ख़ामियाजा मानव
 जाति को भुगतना पड़ा। महात्मा गांधी ने स्वच्छता की बात कही। हम अंधाधुंध उद्योग लगाए जा रहे हैं जिससे मानव अस्तित्व के सामने गम्भीर संकट पैदा हो गया है। गांधी के दर्शन में एक बात स्पष्ट है कि शक्ति के बल पर लोगों को अस्थायी तौर पर दबाया जा सकता है, विचारधारा के प्रभाव से लोगों को स्थायी रूप से जोड़ा जा सकता है। इसलिए गांधी ने भारतीय स्वातंत्र्य आंदोलन में बल जनित हिंसा का सहारा नहीं लिया। उन्होंने गांधी के विचारों के दायरे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधी और उनका दर्शन वर्तमान दौर में  समस्याओं के समाधान के तौर पर वैश्विक जरूरत बन कर उभरी है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने दो अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित कर दिया है। डॉ. मरगूब आलम ने सभा में बैठे लोगों से कहा कि वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता लाने के लिए गांधी के सिद्धांतों का सच्चे मन से अनुपालन जरूरी है। वर्तमान समय में गांधी के  दर्शन की प्रासंगिकता यही है कि शक्ति जन्य दबाव के जरिये समस्या का समाधान नहीं हो सकता। समस्या के स्थायी समाधान के लिए पक्षपात रहित संवाद स्थापित करना ही समय की मांग है।

वीडियो लिंक : https://youtu.be/IIQby6ODsV0

प्रो. डॉ. मो. कलाम ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी एक सुलझे और धरती से जुड़े लेखक थे। लेखक मानव आत्मा का शिल्पी होता है और इसलिए महात्मा गांधी की लेखनी में जन-भावना से उनका सहज और नैसर्गिक जुड़ाव दिखता है। उन्होंने अपनी लेखनी के जरिये भारत और भारतीयों की आत्मा का चित्रण किया है। उनके दर्शन का आधार सेवा और करूणा का भाव है। ये भाव उन्हीं के भीतर आ सकती हैं जिनमें त्याग की भावना हो। महातमा गांधी ने राजनीति का नया प्रारूप विकसित किया जो भविष्य में भी उतनी ही प्रासंगिक रहेगी जितनी आज है। इस प्रारूप के जरिये उन्होंने हाशिये पर खड़े व्यक्ति को राजनीति से जोड़ा। उनकी यह विरासत राजनीति से ज्यादा भारतीय संस्कृति की परिचायक है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गांधी दर्शन ओज और वीरता का दर्शन है। यह एक ऐसा दर्शन है जो जन-भावना से ओत-प्रोत है जिसकी झलक उनके विचारों में साफ-साफ दिखाई पड़ती है। प्रो. कलाम ने कहा कि महात्मा गांधी के दर्शन की अनूठी ख़ूबी है कि वो लोगों से संवाद करते दिखते है जो आज की राजनीति में दुर्लभ नज़र आती है।



सभा को सम्बोधित करते हुए आलोक राज ने कहा कि कुलसचिव द्वारा विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की जयंती मनाने की शुरूआत एक अच्छी पहल है। वर्तमान सन्दर्भ में गांधी के प्रति सच्ची निष्ठा प्रदर्शित करने का एकमात्र तरीक़ा उनके विचारों को अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करते हुए व्यवहार में लाना है। उन्होंने कहा कि पूर्णिया कॉलेज में तत्कालीन राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के आने के बाद राष्ट्रपिता की प्रतिमा स्थापित की गई। उसके बाद से पूर्णिया कॉलेज में महात्मा गांधी की जयंती मनायी जाने लगी। उन्होंने पूर्णिया विश्वविद्यालय के इस पहल के लिए कुलसचिव डॉ. घनश्याम राय को धन्यवाद दिया।




महात्मा गांधी जयंती पर आयोजित विचार-गोष्ठी का समापन राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक व प्रो. आर. डी पासवान ने पूर्णिया विश्वविद्यालय में गांधी पीठ की स्थापना का आग्रह विश्वविद्यालय प्रशासन से किया। उन्होंने कहा कि आज समाज में दो तरह की विचारधारा अस्तित्व में है। एक गांधी की और दूसरी हिंसा की। व्यवहारिक तौर पर हिंसक विचारधारा गाँधी के विचारों को कुचलने पर आमादा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय के शिक्षकों, दिल्ली विश्वविद्यालय से आए शिक्षक, मीडियाकर्मी, छात्रों व अन्य श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

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