जब सुनायी गयी सज़ा उसे, तब
अभागे बाहुबली भाईजान में
व्यस्त हुए
मरता हो कोई बैमौत तो क्या
वो खाने-खिलाने, जुगाड़ों
में मस्त हुए.
न्याय के मंदिर में मैंने
वर्षों से अन्याय ही देखा
है,
कहने को जो न्याय है
वो रईसी-गरीबी के अंतर की
रेखा है.
प्रतीकात्मक चित्र |
उस पार न्याय है, जिधर
फीस मोटी फेंकी जाती है,
इधर तो केवल भय के आँसुओं में
भीगी
बेबसी की रोटी सेंकी जाती
है.
अप्रोच सत्य है शाश्वत
जिसके पास ये होता है,
पैसों का जोर लगाकर
पापी भी चैन की नींद सोता
है.
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