ब्राज़ील और उसके साथ कुछ अमेरिकी देश एक नये तरह के स्वास्थ्य संकट से गुजर
रहे हैं। वह स्वास्थ्य संकट जिसके जड़ में फिर एक बार विषाणु हैं। इन विषाणुओं का
प्रभाव मच्छर एक इंसान से दूसरे इंसान में फैला रहे हैं। बात सिर्फ इतनी नहीं है।
इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रभाव वहाँ नवज़ात बच्चों पर हो रहा है जो छोटे सिर के
साथ पैदा हो रहे हैं।
यह बीमारी उन संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है जो पीला बुख़ार, डेंगी और चिकुनगुनिया जैसे विषाणुओं को फैलाने
की जिम्मेदारी पूरी वफादारी और तन्मयता से निभाती है। यह बीमारी संक्रमित माँ से नवज़ात
में गर्भ के दौरान फैलती है। इतना ही नहीं यह ब्लड ट्रांसफ्युजन और यौन सम्बन्धों
से फैलती है। यह बात अलग है कि अब तक यौन सम्बन्धों से इस विषाणु के प्रसार का केवल एक ही
मामला सामने आया है।
इस अनजान बीमारी ने वहाँ भय का ऐसा परिवेश तैयार किया है कि कई सरकार ने महिलाओं
को बच्चे पैदा नहीं करने की सलाह दी है। इसे लेकर ब्राज़ील की सरकार को चौतरफा
आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आलोचना इसलिये क्योंकि ब्राज़ील सरकार अब तक इसकी
कोई कारगर औषधि खोजने में नाकामयाब रही है।
ब्राज़ील की सरकार का क्या कहे! विश्व के तमाम स्वास्थ्य संगठन अब तक
इस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाये हैं। कई वैज्ञानिकों का तो यह मानना है कि इस बीमारी
की रोकथाम के लिये दवाई बनने में करीब दो साल लग जायेंगे और उसे आम नागरिकों तक पहुँचाने
में जो समय लगेगा सो अलग! ब्राज़ील की सरकार पर दबाव का आलम यह है कि वह अपने लोगों
को किसी भी तरह मच्छरों के डंक से बचने की सलाह जारी कर रही है।
ज़िका विषाणु गर्भवती महिलाओं के शरीर में प्रवेश कर जाता है जो माइक्रोफैली की समस्या को जन्म देता है। माइक्रोफैली असल
में न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें बच्चे का सिर छोटा रह जाता है और पूरी तरह से
उसका विकास भी नहीं होता है। कभी कभी ऐसे मामलों में बच्चे की मौत भी हो जाती है।
इसके साथ ही बच्चा दिखने में अजीब लगता है। जिका वायरस अमेरिका सहित कई लैटिन अमेरिकी
देशों में लोगों के लिए खतरा बना हुआ है। इसके साथ ही इसके अन्य देशों में फैलने
के खतरे को देखते हुए कई देशों की सरकारों ने अपने यहां जिका वायरस का अलर्ट जारी
कर दिया है।
इस विषाणु को ज़िका नाम दिया गया है जिसके कारण बुख़ार आता है। इस विषाणु का नाम
युगांडा के ज़िका जंगल के नाम पर रखा गया है जहाँ उसकी पहचान बंदरों में की गयी थी।
ब्राज़ील के सरकारी अधिकारियों ने इस वर्ष इसके करीब 2,782 मामले दर्ज़ किये हैं जो वर्ष 2014 में 147 और उससे पहले 167 थे। इसके प्रभाव के कारण 40 नवज़ातों की मौत हो चुकी है। ब्राज़ील के कुछ
शोधकर्ताओं ने चेतावनी जारी की है कि आने वाले माहों में यह कई गुना बढ़ सकती है।
इससे प्रकोप से बच जाने वाले बच्चे ताउम्र मस्तिष्क बुद्धि सम्बन्धी दोषों से
जूझते रहेंगे।
मच्छरों के काटने के तीन से बारह दिनों के बीच चार में से तीन व्यक्तियों में
तेज बुख़ार, रैश, सिर दर्द और जोड़ों में दर्द के लक्षण देखे गये
हैं। इसकी रोकथाम के लिये अब तक दवाई नहीं बनी और न ही इसके उपचार का कोई सटीक
तरीका सामने आ सका है। अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिज़ीज कंट्रोल के अनुसार समूचे
विश्व में इस तरह के मच्छरों के पाये जाने के कारण इस विषाणु का प्रसार दूसरे
देशों में भी हो सकता है।
तेजी से फैल रहे इस बीमारी के खतरों को देखते हुए सरकार सतर्क हुई है। विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने भी इस दिशा में पहल शुरू कर दी है। गुरुवार को हुई बैठक में इसके
महानिदेशक मार्गेट चेन ने कहा कि ज़िका भयावह रूप ले रहा है और इसका प्रसार तेजी
से हो रहा है। भारत में भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने ज़िका विषाणु की स्थिति पर नजर
रखने के लिए एक संयुक्त निगरानी समिति बनायी है। इसके जरिये विषाणु संक्रमित देशों
से आने वाले लोगों पर नजर रखी जाएगी।
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