20 अक्तूबर 2022

राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल पूर्णिया की हालत


निर्माण के दौरान पड़ा स्क्रैप


 






































 

पटुआ: जलावन, त्योहार से लेकर ठंड दूर भगाने में होता है इस्तेमाल

नोविनार मुकेश। पूर्णिया। रेशेदार पौधे वाली पटुआ को पटसन, पाट के नाम से भी जाना जाता है। यह द्विबीजपत्री पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम कॉर्कोरस ओलिटोरिअस और कॉर्कोरस कैप्सुलारिस है। शरद पूर्णिमा आते-आते पटुआ की फसल अंतिम रूप से तैयार हो जाती है। बिहार के सीमांचल के जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया और कोशी क्षेत्र में मधेपुरा के मुरलीगंज की सीमा तक पटुआ की फसल बोयी जाती है। 

वीडियो लिंक: https://bit.ly/3SfX7cE

इसकी खेती किसानों की पूरी तन्मयता मांगती है। पटुआ का पौधा तीन से आठ इंच बड़ा होने पर गोड़ाई और बाद में दो से तीन निराई की जाती है। फसल को फूल झड़ने और फली निकलने के बाद काट लिया जाता है।

पटुआ का सूखा तना

काटने में देरी होने पर रेशे मोटे और उनकी चमक फीकी पड़ जाती है। कटाई के बाद फसल को करीब 18 दिनों तक पानी में छोड़ दिया जाता है। रेशे और तने को अलग-अलग कड़ी धूप में सुखाया जाता है।


सड़क किनारे सूखती फसल


रेशे का इस्तेमाल बोरियाँ, कम्बल बनाने में किया जाती है। वहीं, तने का इस्तेमाल हिन्दू समाज में दीपावली के दौरान हुक्का-पाती खेलने के लिए होता है। सूखे तने को जलावन के लिए भी रखा जाता है। ग्रामीण ऑफ सीजन में मिट्टी के चूल्हों के ईंधन के रूप में पटुआ के सूखे तने का इस्तेमाल करते हैं। 


सड़क के दोनों ओर सूखता पटसन का तना

इस साल सीमांचल के जिलों में पटुआ की खेती संतोषजनक हुई है। सैफगंज के किसान कैलू दास ने बताया कि बाज़ार में पटुआ की कीमत 5000 रूपए प्रति क्विंटल है।



जोकीहाट से रानीगंज और मधेपुरा के मुरलीगंज तक जगह-जगह दुकानों के आगे बड़ी-बड़ी तराजू टंगे दुकानें दिख जाती हैं जहाँ पैकार छोटे-छोटे किसानों से 50 रूपए प्रति किलो के भाव से पटुआ की फसल खरीद लेते हैं। इन फसलों को फारबिसगंज और पूर्णिया के गुलाबबाग मंडी में भेज दिया जाता है। 



15 अक्तूबर 2022

पीएम के डिजिटल इंडिया की कोशिश को पलीता लगा रहे हैं सीमांचल के जिलों की आधिकारिक वेबसाइट

यह लेख मैं मीडिया वेबसाइट से साभार ली गयी है जिसका वेबलिंक लेख के अंत में दर्ज किया गया है।

सीमांचल के चार जिलों की आधिकारिक वेबसाइट अधूरी, भ्रामक और गलत सूचनाओं से भरी है और वेबसाइट पर सटीक और वेरिफाइड सूचना प्रकाशन से जुड़ी दिशा-निर्देशों का लम्बे समय से खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिलों में लोगों तक वास्तविक और सटीक सूचना पहुँचाने का यह स्रोत इन दिशा-निर्देंशों के उल्लंघन के कारण जिला प्रशासन और सरकार की साख को बट्‌टा लगाता दिखता है। ऐसा तब है जब आधिकारिक वेबसाइट को अंतिम बार सितंबर को अपडेट किया गया है।

जिलों की आधिकारिक वेबसाइट पर नागरिकों को वास्तविक और सटीक सूचना पहुँचाने वाली संस्थाओं को सार्वजनिक उपयोगिता शीर्षक के तहत सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें आठ संस्थानों बैंक, स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय, अस्पताल, डाक, नगरपालिका, बिजली और गैर सरकारी संगठनों को जगह दी गई है। शहरवासियों का रोजाना इन संस्थानों से पाला पड़ता है। इन संस्थानों के जरिये नागरिकों को कई जरूरी सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं।

जिलों की आधिकारिक वेबसाइट पर इन संस्थानों के सामने उनकी संख्या दर्शायी गई है, जिस पर क्लिक करने से संस्थानों के नाम, पते, लैंडमार्क, फोन नम्बर और वेबसाइट लिंक की दर्ज़ जानकारी तक विजिटर्स की पहुँच बनती है।

पूर्णिया जिले की आधिकारिक वेबसाइट का हाल

जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर बैंक की संख्या 06 बताई गई है, जिस पर क्लिक करने से एक नया वेबपेज खुलता है, जिसमें सभी 06 बैंकों का नाम, पता, ई-मेल, फोन नम्बर, वेबसाइट लिंक और श्रेणी दर्ज़ हैं।

वेबपेज पर दर्ज़ केनरा बैंक के फोन नम्बर पर कॉल करने पर दूसरी तरफ से बताया जाता है कि ‘डाइल्ड नम्बर नॉट अवेलेबल’ या ‘डाइल्ड नम्बर पर इस समय इनकमिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है’ सुनाई पड़ती है। वहां दर्ज़ वेबसाइट लिंक एक निजी वेब पता है जिसके जरिये विजिटर्स केनरा बैंक की आधिकारिक वेबसाइट तक नहीं पहुंच सकते।

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वेबपेज के हिन्दी संस्करण पर सार्वजनिक क्षेत्र के एक वाणिज्यिक बैंक सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया का हिन्दी अनुवाद भारतीय केन्द्रीय बैंक कर दिया गया है, जबकि भारत का केन्द्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है। इस बैंक के आधिकारिक फोन नम्बर के स्थान पर प्रविष्ट नम्बर पर कॉल करने से मोबाइल नम्बर स्विच ऑफ बताया जाता है। हालांकि, बैंक के बारे में जानकारी के लिए दर्ज़ वेबसाइट लिंक आधिकारिक है।

इसी वेबपेज पर पंजाब नेशनल बैंक के संबंध में मुहैया कराई गई जानकारी भ्रामक है। वहाँ दर्ज़ फोन नम्बर पंजाब नेशनल बैंक की लाइन बाज़ार शाखा का फोन नम्बर है जिसे जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर मंजू कॉम्प्लेक्स भट्‌टा बाजार की शाखा बताई गई है। इसके अलावा वहाँ दर्ज़ वेबसाइट लिंक पंजाब नेशनल बैंक की आधिकारिक वेबसाइट नहीं है। साथ ही बैंक की श्रेणी में महज बैंक दर्ज़ कर खानापूर्ति की गई है। अन्य बैंकों के बारे में दर्ज जानकारियां भी या तो गलत है या भ्रामक।

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सार्वजनिक उपयोगिता के तहत पूर्णिया जिले में कॉलेज या विश्वविद्यालय की संख्या दो बताई गई है। इस संख्या पर क्लिक करने से एक नया वेबपेज खुलता है जिस पर पूर्णिया विश्वविद्यालय का नाम तक दर्ज़ नहीं है। वेबपेज पर पूर्णिया विश्वविद्यालय के मात्र दो कॉलेजों का नाम दर्ज़ किया गया है जिसमें पूर्णिया कॉलेज और पूर्णिया महिला महाविद्यालय की जानकारी मुहैया करायी गई है। वेबसाइट पर मौजूद जानकारी में पूर्णिया कॉलेज का जो फोन नम्बर दर्ज है उसपर कॉल करने पर फोन स्विच्ड ऑफ होने के कारण दूसरी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। वहीं, पूर्णिया कॉलेज की वेबसाइट लिंक पर क्लिक करने से यह विजिटर्स को एक निजी वेबपेज से जोड़ता है, जिस पर सौ प्रतिशत प्लेसमेंट असिस्टेंस का विज्ञापन और यूपी बोर्ड की कक्षा दसवीं और बारहवीं की पूरक परीक्षाओं के परिणाम सम्बन्धी घोषणा की जानकारी मौजूद है। वहाँ दर्ज़ मोबाइल नम्बर को पूर्णिया महिला कॉलेज का बताया गया है जिस पर कॉल करने से ‘डायल किए गए नम्बर पर इनकमिंग कॉल की सुविधा उपलब्ध नहीं है’ की प्रतिक्रिया प्राप्त होती है।

शहर में दर्जनों सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र हैं, लेकिन जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर अस्पतालों की संख्या महज एक दर्ज़ है। वहाँ दर्ज़ लिंक पर क्लिक करने से अस्पताल के नाम व पते सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती है। वेबपेज खुलने पर विजिटर्स को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय की जगह इसका पुराना नाम सदर अस्पताल दिखता है लेकिन दर्ज़ वेबसाइट लिंक नहीं खुल पाने के कारण विजिटर्स को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल की कोई ऑनलाइन जानकारी नहीं मिल पाती।

जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर जिले के किसी भी सरकारी विद्यालय को जगह नहीं दी गई है। वहीं, शहर के पांच प्राइवेट स्कूलों का नाम, पता, सम्पर्क नंबर उनकी वेबसाइट लिंक संबंधी सूचना मौज़ूद है।

बिजली कम्पनी की विवरणी वाले वेबपेज पर दर्ज़ फोन नम्बर डायल करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती।

इस वेबसाइट के अनुसार जिले में डाकघरों की संख्या मात्र 01 बतायी गयी है। उपलब्ध लिंक को क्लिक करने पर डाकघर का नाम, पता, ई-मेल, फोन नम्बर और वेबसाइट लिंक की जानकारी नजर आती है। दर्ज़ फोन नम्बर पर अलग-अलग समयावधि में कॉल करने से रिंग होता है, लेकिन दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं मिलता। वहीं, दर्ज़ वेबसाइट लिंक विजिटर्स को एक अनाधिकारिक निजी वेबसाइट पर ले जाता है, जिस पर डाकघर से जुड़ी कई सूचनाएँ दर्ज़ मिलती है। सरसरी निगाह से देखने पर यह डाकघर की अधिकारिक वेबसाइट नजर आती है, लेकिन इस पर पोस्ट किये गये डिस्क्लेमर को पढ़ कर स्पष्ट हो जाता है कि यह इंडिया पोस्ट की आधिकारिक वेबसाइट नहीं है।

किशनगंज जिले की वेबसाइट का हाल

किशनगंज में नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कार्पोरेशन लिमिटेड बिजली आपूर्ति से जुड़ी कार्यों के लिए अधिकृत है जिसका पता बहादुरगंज सम्पर्क रोड मारवाड़ी कॉलेज के नजदीक है, जबकि जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर विद्युत आपूर्ति और वितरण कम्पनी का नाम और पता अपडेटेड नहीं है। बिजली से जुड़ी सेवा प्रदाता कम्पनी का नाम किशनगंज विद्युत कार्यालय और उसके अपडेटेड पते के रूप में धरमगंज दर्ज़ है। आधिकारिक वेबसाइट पर बिजली सेवा प्रदाता कम्पनी का फोन नम्बर न ही वेबलिंक मौजूद है।

Kishanganj district adminstration website screenshot

डाक सेवा से जुड़े वेबपेज पर मुख्य डाकघर और ठाकुरगंज डाक-घर का फोन नम्बर और वेबलिंक दर्ज़ नहीं है। वहीं, चूड़ीपट्टी डाकघर का नम्बर आउट ऑफ ऑर्डर होने के कारण पूछताछ व सूचना साझा करने सम्बन्धी सेवाएं बंद हैं।

किशनगंज के अस्पतालों की मौजूदा सूची के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में एकमात्र सदर अस्पताल का नाम व पता दर्ज़ है। हालांकि, सदर अस्पताल के फोन नम्बर व वेबलिंक की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।

शहरवासियों के छोटे-छोटे लेकिन जन्म, मृत्यु प्रमाण-पत्र से जुड़ी जरूरी सेवाएं नगरपालिका की ओर से मुहैया करायी जाती हैं। लेकिन, वेबसाइट पर लोक उपयोगिता से जुड़ी नगरपालिका जैसे महत्तवपूर्ण संस्थान की मूलभूत जानकारी जैसे जरूरी फोन नम्बर्स और वेबलिंक की जानकारी का वेबसाइट पर अभाव है। जिला परिषद से जुड़ी बुनियादी सूचनाएं तक जिले की वेबसाइट पर मौज़ूद नहीं है।

जिले में दर्ज़न भर से ज्यादा सरकारी स्कूल होने के बावज़ूद वेबसाइट पर कुल 14 स्कूलों की अधूरी सूचना दिखती है। इनमें से महज 05 ही सरकारी स्कूलों की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें आधिकारिक वेबपेज पर स्थान मिला है। स्कूलों के फ़ोन नम्बर्स और वेबलिंक्स की जानकारी को जिला प्रशासन ने वेबसाइट के जरिये साझा करने में रूचि नहीं दिखाई है।

अररिया जिले की वेबसाइट पर क्या मिला

लोक उपयोगिता के अंतर्गत अररिया जिले की वेबसाइट पर कॉलेज/विश्वविद्यालय की संख्या 03 बतायी गयी है जिनमें अररिया कॉलेज, एमबीआईटी इंटरनेशनल इंजीनियरिंग कॉलेज, फारबिसगंज कॉलेज शामिल हैं। अररिया कॉलेज से जुड़ी जानकारी में जिन प्राचार्य का नाम वेबपेज पर दर्ज़ है, उन्हें पूर्णिया महिला कॉलेज प्राचार्य के पद पर योगदान दिये कई महीने बीत चुके हैं।

लोक उपयोगिता के तहत वेबसाइट पर अस्पताल संबंधी मौज़ूद जानकारी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर अनुमंडलीय अस्पताल और सदर अस्पताल तक की जानकारी मुहैया कराई गई है। हालांकि, उपलब्ध जानकारी में इन अस्पतालों के वेबलिंक्स नहीं हैं। हालांकि, फिर भी सीमांचल के दूसरे जिलों के सभी सरकारी अस्पतालों या प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को वेबसाइट पर सूचीबद्ध नहीं करने की लापरवाही अररिया की वेबसाइट पर नहीं दिखाई पड़ती।

अस्पतालों के नाम, मोबाइल नम्बर और पते की अपडेटेड जानकारी के लिए अनुमंडलीय अस्पताल फारबिसगंज और अररिया, कुर्सांकांटा, नरपतगंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के नाम पर दर्ज़ मोबाइल नम्बरों पर कॉल करने पर दो नम्बर्स स्विच और दो पर रिंग होने के बावज़ूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

जिले की वेबसाइट पर 2 निजी और 8 सार्वजनिक बैंकों की सूची मौज़ूद है। उनमें से चार बैंकों की सम्पर्क संख्या जिला प्रशासन के पास नहीं है। वहीं एक्सिस बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, केनरा बैंक, एसबीआई-कृषि शाखा के सामने दर्ज़ लैंडलाइन नंबर पर कॉल करने पर “प्लीज चेक दी नम्बर यू हैव डायल्ड’ यानी नंबर जांचने की सलाह मिलती है।

वेबसाइट पर अररिया जिले के सभी डाकघरों की सूचना मुहैया नहीं करायी गयी है। वहीं, अररिया डाकघर संबंधी सूचना में पोस्ट मास्टर का नाम अपडेट नहीं किया गया है। डाकघर के फोन नम्बर पर कॉल करने पर डायल किये गए नम्बर को जाँचने को कहा जाता है।

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जिले की वेबसाइट के अनुसार लोक उपयोगिता के तहत दर्ज़ स्कूलों की संख्या महज एक है। अररिया के सभी स्कूलों की सूची संबंधी अपडेटेड जानकारी वेबसाइट से नदारद है। वहीं, एकमात्र स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय का दर्ज़ मोबाइल नम्बर सेवानिवृत्त प्राचार्य का व्यक्तिगत नम्बर है, जिसे वेबसाइट से डिलीट कर अब तक अपडेट नहीं किया गया है।

अररिया की वेबसाइट पर नगर परिषद अररिया और जोगबनी व फारबिसगंज की नगर पंचायत का नाम, पता, फोन नम्बर, वेबलिंक्स और कार्यकारी अधिकारी का नाम दर्ज़ है। नगर पंचायत जोगबनी का फ़ोन नम्बर अस्थायी रूप से सेवा से बाहर है और कार्यपालक पदाधिकारी का नाम वेबसाइट पर अपडेट नहीं किया गया है।

कटिहार जिले की वेबसाइट का हाल

कटिहार जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर लोक उपयोगिता के तहत जिले में अस्पतालों की संख्या एक दर्ज़ है। हालांकि, अस्पताल संबंधी अधिक जानकारी के लिए मौज़ूद लिंक पर क्लिक करने पर जिला स्वास्थ्य समिति का नाम दिखता है, जिसमें वर्तनी की गड़बड़ी है। यहां मौज़ूद सूचनाओं से अस्पताल का फ़ोन नम्बर नदारद है। कई प्रयासों के बाद भी अस्पताल का वेबलिंक विजिटर्स को जिले की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी वांछित जानकारी देने में नाक़ाम रहता है।

जिले की वेबसाइट पर के.बी. झा कॉलेज और दर्शन साह कॉलेज का नाम, पता, फोन नम्बर, ई-मेल और वेबलिंक दर्ज हैं। दर्ज़ फोन नम्बरों पर कॉल करने की सुविधा नहीं है। के. बी. झा कॉलेज का वेबलिंक एक निजी वेबसाइट पर ले जाता है, जिस पर कॉलेज के हितधारियों के लिए कोई भी सूचना मौजूद नहीं है। वहीं, दर्शन साह महाविद्यालय की वेबसाइट पर कॉलेज से जुड़ी सूचनाएं उपलब्ध हैं।

katihar district administration website screenshot

जिले की वेबसाइट पर डाक सेवा से जुड़े वेबपेज पर कटिहार मुख्य डाक घर का नाम, पता, फोन नम्बर और वेबलिंक मौज़ूद हैं। वेबपेज पर मुख्य डाक घर के लैंडलाइन नंबर पर कॉल रिसीव करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहीं, मौज़ूद वेबलिंक विजिटर्स को भारतीय डाक के आधिकारिक वेब पते पर ले जाती है।

लोक उपयोगिता शीर्षक के तहत कटिहार के वेबसाइट पर मौज़ूद सूचना के अनुसार जिले में एकमात्र स्कूल हरिशंकर नायक उच्च विद्यालय है, जिसका फोन नम्बर, वेबलिंक अनुपलब्ध है।

जिले की वेबसाइट पर 6 बैंकों के नाम, पता, फोन नम्बर और श्रेणी मौज़ूद हैं। सभी बैंकों की वास्तविक श्रेणी दर्शाने के स्थान पर आम जन मानस लिख कर खानापूर्ति कर दी गई है। सार्वजनिक या निजी, वाणिज्यिक या गैर-वाणिज्यिक आधार पर इनको श्रेणीबद्ध किया जाना था। इन बैंकों की स्थानीय शाखा का नम्बर साझा करने के बदले जिला प्रशासन की कंटेंट मॉनीटरिंग टीम द्वारा बैंक के टोल फ्री नम्बर्स प्रकाशित कर दिये गए हैं। इसके अतिरिक्त बैंकों की सूची में से कुछ के नाम में वर्तनी संबंधी गलती है।

सीमांचल के चारों जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर पॉलिटेक्निक संस्थानों, इंजीनियरिंग कॉलेजों, छात्र-छात्राओं के लिए मौज़ूद छात्रावासों, खेल स्टेडियम, भारतीय खेल प्राधिकरण, ललित कला, पुस्तकालयों आदि से जुड़ी समुचित जानकारी लोक उपयोगिता के तहत उपलब्ध नहीं है।

चारों जिलों की आधिकारिक वेबसाइट्स एनआईसी पूर्णिया, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विकसित और होस्ट की जाती है, लेकिन इसके जरिए मुहैया की जाने वाली सूचनाओं की वास्तविकता और सटीकता की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है।

वेबसाइट पर कन्टेंट अपडेशन के सम्बन्ध में पूछे जाने पर पूर्णिया के वेब इन्फॉरमेशन मैनेजर सौम्यव्रत सिन्हा ने कहा, “समय-समय पर हमारी टीम वेबसाइट अपडेट करते रहते हैं। सूचना सम्बन्धी कोई गलती संज्ञान में आने पर उसे सुधार लिया जाता है।”

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए जिला सूचना विज्ञान अधिकारी कटिहार, वेब इन्फॉर्मेशन मैनेजर किशनगंज के लैंडलाइन नम्बर पर कॉल किया गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। अररिया के संबंधित पदाधिकारी से भी जवाब नहीं मिल पाया।


https://mainmedia.in/most-of-the-information-related-to-public-utility-on-government-websites-in-seemanchal-is-wrong/




02 अक्तूबर 2022

गांधी का दर्शन ओज और वीरता का दर्शन है: डॉ. मो. कलाम

पूर्णिया विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में रविवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. मरगूब आलम, कुलसचिव डॉ. घनश्याम राय, कुलानुशासक प्रो. डी. के झा, पूर्णिया कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मो. कलाम, प्रो. आर.डी पासवान ने दीप जलाकर व महापुरूष द्वय के तैलचित्र पर माला अर्पित कर विचार-गोष्ठी कार्यक्रम की शुरूआत की।





कुलसचिव डॉ. घनश्याम राय ने अपने शुरूआती सम्बोधन में विश्विद्यालय के पदाधिकारियों व उपस्थित श्रोताओं का स्वागत किया व आयोजित कार्यक्रम की तैयारियों के सम्बन्ध में जानकारी साझा की। महात्मा गांधी के दर्शन की प्रसंगिकता पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय स्वातंत्र्य इतिहास के दौरान महात्मा गांधी की सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह और स्वराज जैसे दर्शन की आज के दौर में प्रासंगिकता स्थापित करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि आज के समय में कुछ राजनैतिक इकाईयां हैं जो बंदूक के बल पर हिंसा के जरिये सत्ता हासिल करना चाहती है जिसका जवाब महात्मा गांधी के अहिंसा के दर्शन का पालन कर दिया जा सकता है। डॉ. घनश्याम ने कहा कि महात्मा गांधी की व्यापक स्वीकार्यता समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों तक उनकी सहज पहुँच और उनसे संवाद स्थापित कर मुख्याधारा में लाने की उनकी कोशिशों के कारण है।


महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को नमन करते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. डॉ. मरगूब आलम ने कहा कि कोविड-19 की महामारी ने पूरी दुनिया को महत्तवपूर्ण संदेश दिया। हमसे गांधी के दर्शन के अनुपालन में चूक हुई जिसका ख़ामियाजा मानव
 जाति को भुगतना पड़ा। महात्मा गांधी ने स्वच्छता की बात कही। हम अंधाधुंध उद्योग लगाए जा रहे हैं जिससे मानव अस्तित्व के सामने गम्भीर संकट पैदा हो गया है। गांधी के दर्शन में एक बात स्पष्ट है कि शक्ति के बल पर लोगों को अस्थायी तौर पर दबाया जा सकता है, विचारधारा के प्रभाव से लोगों को स्थायी रूप से जोड़ा जा सकता है। इसलिए गांधी ने भारतीय स्वातंत्र्य आंदोलन में बल जनित हिंसा का सहारा नहीं लिया। उन्होंने गांधी के विचारों के दायरे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधी और उनका दर्शन वर्तमान दौर में  समस्याओं के समाधान के तौर पर वैश्विक जरूरत बन कर उभरी है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने दो अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित कर दिया है। डॉ. मरगूब आलम ने सभा में बैठे लोगों से कहा कि वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता लाने के लिए गांधी के सिद्धांतों का सच्चे मन से अनुपालन जरूरी है। वर्तमान समय में गांधी के  दर्शन की प्रासंगिकता यही है कि शक्ति जन्य दबाव के जरिये समस्या का समाधान नहीं हो सकता। समस्या के स्थायी समाधान के लिए पक्षपात रहित संवाद स्थापित करना ही समय की मांग है।

वीडियो लिंक : https://youtu.be/IIQby6ODsV0

प्रो. डॉ. मो. कलाम ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी एक सुलझे और धरती से जुड़े लेखक थे। लेखक मानव आत्मा का शिल्पी होता है और इसलिए महात्मा गांधी की लेखनी में जन-भावना से उनका सहज और नैसर्गिक जुड़ाव दिखता है। उन्होंने अपनी लेखनी के जरिये भारत और भारतीयों की आत्मा का चित्रण किया है। उनके दर्शन का आधार सेवा और करूणा का भाव है। ये भाव उन्हीं के भीतर आ सकती हैं जिनमें त्याग की भावना हो। महातमा गांधी ने राजनीति का नया प्रारूप विकसित किया जो भविष्य में भी उतनी ही प्रासंगिक रहेगी जितनी आज है। इस प्रारूप के जरिये उन्होंने हाशिये पर खड़े व्यक्ति को राजनीति से जोड़ा। उनकी यह विरासत राजनीति से ज्यादा भारतीय संस्कृति की परिचायक है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गांधी दर्शन ओज और वीरता का दर्शन है। यह एक ऐसा दर्शन है जो जन-भावना से ओत-प्रोत है जिसकी झलक उनके विचारों में साफ-साफ दिखाई पड़ती है। प्रो. कलाम ने कहा कि महात्मा गांधी के दर्शन की अनूठी ख़ूबी है कि वो लोगों से संवाद करते दिखते है जो आज की राजनीति में दुर्लभ नज़र आती है।



सभा को सम्बोधित करते हुए आलोक राज ने कहा कि कुलसचिव द्वारा विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की जयंती मनाने की शुरूआत एक अच्छी पहल है। वर्तमान सन्दर्भ में गांधी के प्रति सच्ची निष्ठा प्रदर्शित करने का एकमात्र तरीक़ा उनके विचारों को अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करते हुए व्यवहार में लाना है। उन्होंने कहा कि पूर्णिया कॉलेज में तत्कालीन राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के आने के बाद राष्ट्रपिता की प्रतिमा स्थापित की गई। उसके बाद से पूर्णिया कॉलेज में महात्मा गांधी की जयंती मनायी जाने लगी। उन्होंने पूर्णिया विश्वविद्यालय के इस पहल के लिए कुलसचिव डॉ. घनश्याम राय को धन्यवाद दिया।




महात्मा गांधी जयंती पर आयोजित विचार-गोष्ठी का समापन राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक व प्रो. आर. डी पासवान ने पूर्णिया विश्वविद्यालय में गांधी पीठ की स्थापना का आग्रह विश्वविद्यालय प्रशासन से किया। उन्होंने कहा कि आज समाज में दो तरह की विचारधारा अस्तित्व में है। एक गांधी की और दूसरी हिंसा की। व्यवहारिक तौर पर हिंसक विचारधारा गाँधी के विचारों को कुचलने पर आमादा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय के शिक्षकों, दिल्ली विश्वविद्यालय से आए शिक्षक, मीडियाकर्मी, छात्रों व अन्य श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।