24 नवंबर 2016

लिफ्ट में उनसे आगे चढ़ने से नाराज़ मोदी साहब ने किया अधिकारी का ट्रांसफर

सुना है, मोदी साहब अपने अधीनस्थ अधिकारी से नाराज़ हो गये. नाराज़गी की वजह भी यह रही कि एक अधीनस्थ अधिकारी उनके सामने उनसे पहले लिफ्ट पर चढ़ गये. मोदी साहब ने उस अधिकारी से लिफ्ट से उतरने को कहा. वह नहीं उतरा. मोदी साहब ने अपने पद का हवाला दिया. अधीनस्थ अधिकारी फिर भी नहीं उतरा और अपने जल्दी लिफ्ट पर चढ़ने के कारण का भी ज़िक्र किया. जल्दी चढ़ने के कारण का खुलासा करते हुए उन्होंने यह भी कह दिया कि लिफ्ट सबके लिये है. 

अधीनस्थ अधिकारी की दलीलों और कारण ने मोदी साहब के अहं को लिफ्ट की ऊँचाईयों से ऊपर पहुँचा दिया. अपने अहं की तुष्टि के लिये मोदी साहब ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अधीनस्थ अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया. बेवजह स्थानांतरित किये गये अधिकारी को मोदी साहब की तानाशाही बुरी लगी और उसने पूरी घटना की जानकारी अपने एसोसियेशन को दी. 

एसोसियेशन हरक़त में आया और मोदी साहब से फैसला वापस लेने को कहा. मोदी साहब टस से मस न हुए. होते भी कैसे! माना जाता है कि सत्तासीनों के कर्ता-धर्ता प्रधान सेवक का अधिकारी के रूप में बड़े ओहदे पर बैठे इस मोदी पर हाथ है. सत्ता में आते ही इस मोदी साहब को दिल्ली में केंद्रीय सरकार के एक महत्तवपूर्ण विभाग में लाया गया. दोनों मोदी का रिश्ता अहमदाबाद से रहा है. 

स्थिति आश्चर्यजनक बिल्कुल भी नहीं है. लोकशाही में बड़े ओहदे वालों के लिये अधीनस्थ कर्मचारियों के काम से ज्यादा मायने उनका अपना अहं और उसकी निरंतर तुष्टि रखता है. यह एक रिवाज़ है. रिवाज़ तोड़ने पर प्रशासनिक आधारों पर तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण या अधीनस्थों के रिपोर्ट में नकारात्मक प्रविष्टियाँ की जाती है ताकि मौद्रिक बढ़ोत्तरी और प्रोन्नतियों से उन्हें वंचित रखा जा सके. 

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