22 जून 2016

पूंजीless वकीलों की तो छुट्टी समझो मामू! आ गिया है पहला रोबोटिक वकील

भेजा ठनका क्या मामू? क्या है ना, कि अब केजरीवाल का झूठा सर्टिफिकेट टाइप मंत्री लोगों का उम्मीद खल्लास. वकीलों के आजू-बाजू मुंशी टाइप लोगों का भी रोजगार खल्लास. क्योंकि, पहली बार आ गया है कानून-बाजार में रोबोटिक वकील. I शपथ! नहीं पढ़ा कहीं, इधरिच पढ़ ले मामू. क्या मामू, खाली-पीली भेजे पर वज़न नहीं डालने का. अपुन टाइप कर रिया है न. क्या है ना, अपुन को भी ज्यादा इंट्रो-विंट्रो के लफड़े में फँसने का नहीं माँगता. 

अमेरिका के एक लॉ फर्म ने मई 16,2016 को अपने कानूनी कार्यों में सहायता के लिये एक रोबोट को किराये या समझ लें पारिश्रमिक पर रखा है. यह रोबोट इस फर्म में कानूनी कार्यों को निपटाने में विभिन्न दलों की सहायता करेगा. इसके कार्यों में प्रयोक्ताओं को उन नवीन अदालती निर्णयों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना शामिल है जिससे मुकदमें प्रभावित हो सकते हैं. इस रोबोटिक वकील का काम उद्धरण मुहैया कराना भी है जो मुकदमों के दौरान काम आते हैं.



सेल्फ लर्निंग एलगोरिदमिक टूल के रूप में विकसित किये गये इस रोबोटिक वकील का नाम रॉस (ROSS) रखा गया है. रॉस शोध कार्यों में दक्ष है और पूछे गये सवाल के मुताबिक यह युक्तियुक्त साक्ष्य आधारित त्वरित जवाब दे सकता है. 

मतलब ये हुआ कि जितना टाइम भाई लोग उससे सवाल पूछने में वेस्ट करेगा उससे ज्यादा स्पीड से रॉस जवाब दे डालेगा. समझा क्या मामू! अब रोकड़ा वाला वकील सब के सिर से मुंशी टाइप लोगों को पारिश्रमिक पर रखने का धंधा चौपट. क्या? नहीं समझा. ऐड़ा है क्या मामू? 

जौन लॉ फर्म रॉस को किराये पर रखे हैं उ मुफत में तो रखे नहीं होंगे. इसके लिये baker & hostetler नामक लॉ फर्म ने आईबीएम को कीमत चुकायी है. आईबीएम ने अपने कम्प्युटिंग सिस्टम से रॉस को विकसित किया है. इससे पहले रिटेल स्टोर्स के लिये Humanoid robot निर्माण के वास्ते आईबीएम ने सॉफ्टबैंक के साथ साझेदारी की थी. 

सच कहता हूँ, जब कुछ भी पहली-पहली बार होता है न, तो......मामू जैसी छवि बनाने की कोशिश भी बहुत होती है. रॉस को ही देख लो, गूगल पे world's First artificial intelligent lawyer करोगे तो रॉस ही रॉस प्रकट होंगे, श्रीकृष्ण की तरह, जैसे गीता के उपदेश का संशोधित संस्करण दे रहे हों कि,"जब-जब पूंजीधारियों के सिर पर काम का बोझ बहुत बढ़ जायेगा तब-तब उन्न्त प्रौद्योगिकी सघन पू्ंजी के सहयोग से नवीन कृत्रिम मशीनें विकसित करेगी."


पर क्लाइंट का क्या. उसकों तो पेमेंट करना होगा ना मामू. इतना खर्चा कियेला पूंजीपति रोबोटिक वकील खरीदने के वास्ते. अपुन क्या बोलता है, ये मुंशिच टाइप, कम पूंजी वाले वकीलों को एक झप्पी दे दो न, मामू!

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